Friday, August 31, 2007

मुझे इतना तो बस कहने दो

मुझे इतना तो बस कहने दो
इन शब्दों में ही बहने दो

कितने जतन से था संजोया
सपना था जो खोया-खोया
वो सपना अब थककर सोया
उसे सपनों में खोये रहने दो

मुझे इतना तो बस कहने दो
इन शब्दों में ही बहने दो

आंखों से पिघला एक तारा
मीठे दर्द का स्वाद ये खारा
ये खारापन ही जीवन सारा
ये खारापन मुझे सहने दो

मुझे इतना तो बस कहने दो
इन शब्दों में ही बहने दो

टूटा टूटा सा व्याकुल क्षण
टूटे मन का ज्यों दर्पण
इस दर्पण के हँसते-रोते कण
उनको गीतों के गहने दो

मुझे इतना तो बस कहने दो
इन शब्दों में ही बहने दो

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