Wednesday, August 22, 2007

क्या बीता कैसे बीता

थके थके से बादल
बरसते नही
सिर्फ उमडते-घुमडते हुये
अपने होने का अहसास कराते हैं
बादल भी मौसम की तरह बीत जाते हैं

आँखें बाट जोहती हैं
झुकती नही
सिर्फ कभी कभी झपकते हुये
किसी नींद की थकान को दिखाती हैं
नींद भी उम्र की तरह बीत जाती है

गुलमोहर खूब जलता है
पर पिघलता नही
सिर्फ एक गिरा हुआ ज़र्द पत्ता
सुर्ख फूलों की कीमत कहता जाता हैं
फूल भी दिन के साथ बीत जाता है

1 comment:

Piyush k Mishra said...

आँखें बाट जोहती हैं
झुकती नही
सिर्फ कभी कभी झपकते हुये
किसी नींद की थकान को दिखाती हैं
नींद भी उम्र की तरह बीत जाती है


kya baat hai dada.aisi baatein itni aasaani se bayaan kar dete hain aap.
khoobsoorat.