इस शब के गुज़रते ही एक शब और होगी
किस्सा चलता ही रहेगा बात अभी और होगी
मोहरों सी ये दुनिया , बिछाती है बिसात
डर ये लगता है दिल को, मात अभी और होगी
आप बावफा तो नहीं यकीन मुझको पर
क़त्ल जो आप करेंगे, वो वफ़ा और होगी
दिन के जलाने वाले मगरूर उजाले से कहो
खौफ खाओ, न जलाओ रात 'अभि' और होगी
Tuesday, January 22, 2008
Saturday, January 19, 2008
बात बढ़ती नही
जो तुम कह देते मुझे, बात बढ़ती नही
होता कुछ भरम नया, बात बढ़ती नही
बिखरते रहना मौज की आदत लेकिन
साहिल जो संभल जाता बात बढ़ती नही
आईने को उज्र नही टूटने से
अक्स खुद पिघल जाता बात बढ़ती नही
बहार से बचकर जिंदगी निकली थी
पतझड़ भी गुज़र जाता बात बढ़ती नही
"अभि" हर शह तकाज़ा करती मुझसे
वक़्त कुछ दिलदार होता बात बढ़ती नही
होता कुछ भरम नया, बात बढ़ती नही
बिखरते रहना मौज की आदत लेकिन
साहिल जो संभल जाता बात बढ़ती नही
आईने को उज्र नही टूटने से
अक्स खुद पिघल जाता बात बढ़ती नही
बहार से बचकर जिंदगी निकली थी
पतझड़ भी गुज़र जाता बात बढ़ती नही
"अभि" हर शह तकाज़ा करती मुझसे
वक़्त कुछ दिलदार होता बात बढ़ती नही
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