Saturday, September 8, 2007

मेरी बिटिया की लोरी

नींद पेड के पत्ते
पत्तों पर एक चिड़िया
चिड़िया गाना गायेगी
तो सो जायेगी गुडिया

नींद का उड़ता घोडा
टक-बक करता आये
गुडिया बैठेगी उसपर
वो बादल सा उड़ जाये

पानी - पहाड़ के ऊपर
उड़ता उड़ता जाएगा
इन्द्रधनुष के कोने में
परीलोक तब आयेगा

परीलोक की मछली
चश्मा पहन के उड़ती
शेर और बकरी दोस्त हुये
उनकी शकल भी मिलती

रँग-बिरंगी परियाँ
लगती प्यारी-प्यारी
कुछ हैं दुबली-पतली
कुछ थोड़ी सी भारी

गुडिया रानी को लेकर
घोडा वहाँ जो आये
परियाँ नाचेंगी झम-झम
और हाथी गाना गाये

पिकनिक होगी दिन भर की
खेलेंगे सब मिलकर
खाना पीना शोर मचाना
करना है जी भर कर

ऐसा सपना देखो
मेरी गुडिया रानी
सपनों में भी तेरे
आंखों में ना हो पानी

4 comments:

Shastri JC Philip said...

"पिकनिक होगी दिन भर की
खेलेंगे सब मिलकर
खाना पीना शोर मचाना
करना है जी भर कर"

सरल, बालसुलभ रचना. बच्चों को सिखाने के लिये उत्तम -- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

डॉ .अनुराग said...

ye aapki hi nahi ,hamare bachho ki bhi lori hai...

likhte rahiye.

..मस्तो... said...

Khbsurat...Khubsurat..Khubsurat
ye mujhe bahut bahut Pasand hai....


नींद का उड़ता घोडा
टक-बक करता आये
गुडिया बैठेगी उसपर
वो बादल सा उड़ जाये
....
रँग-बिरंगी परियाँ
लगती प्यारी-प्यारी
कुछ हैं दुबली-पतली
कुछ थोड़ी सी भारी



"Khubsurat Kalpnaa... Khubsurat..Pravaah...Khubsurat...Lori.."

with love
..masto...

अजित गुप्ता का कोना said...

बहुत ही अच्‍छी लोरी है। बधाई। मेरे ब्‍लाग पर भी मैंने एक लोरी पोस्‍ट की है, कृपया उसे देखें और अपनी प्रतिक्रिया दें।