Tuesday, May 13, 2008

अन्नदाता

कुछ दिनों पहले अमरीकी राष्ट्रपति ने चिंता जतायी की भारत में लोगो के "ज़्यादा" खाने से दुनिया मी खाद्य संकट पैदा हो गया है। दूसरी और किसानों की भुखमरी से तंग आकर की गयी आत्महत्या इतनी रोज़मर्रा की ख़बर हो चुकी है की आजकल अख़बारों के पहले पन्ने पर भी नही आती। इसी स्थिति की विषमता पर कुछ कहना चाहा है:

घुट्टी में पिलाया गया किसान को
क़र्ज़ लो.....
पर अनाज उगाने का फ़र्ज़ पूरा करो
हर बैसाखी और दशहरे पर उसे निहारो
काटो, बांधो, बुहारो
बेच आओ उसे उस क़र्ज़ के बदले
ताकि अगला क़र्ज़ lene की बात हो पाये
एक और पीढ़ी का भविष्य गिरवी हो जाए

ऐसे गिरवी भविष्यों से बना किसान
अब तक अपनी अगति नही लेता मान
कितने और फांकों से पेट भरेगा
कितनी बार अपनी किस्मत से लड़ेगा
और कितने गोदान लिखे जायेंगे
कितने होरी गुमनाम मर जायेंगे
इनको अब भी गर्व है अनाज उगाते हैं
और इनके पास है मृतप्राय प्राण
जिससे इस अन्न का दाम चुकाते हैं

3 comments:

Piyush k Mishra said...

Amreeka ke rashtrapati ke ghatiya comment par bahut sateek kavita hai.

bilkul sajeev ho utha hai poora drishya.
yeh hamari kamzor aur gire star ki raajneeti ka phal hai.kisaan bechaare bhookhe mar rahe hain aur ek so called superpower desh ka rashtrapati bin soche samjhe aisi baat kah jaata hai jis par choon tak nahin hoti hamare desh mein.

badai ho dada.kuchh logon tak to yeh baat pahunchegi aapke dwara.

डॉ .अनुराग said...

कितनी बार अपनी किस्मत से लड़ेगा
और कितने गोदान लिखे जायेंगे
कितने होरी गुमनाम मर जायेंगे
भारत अपनी इस पूंजी से भी धीरे धीरे हाथ खो देगा ,जैसे पंजाब मे बड़े बड़े कार्पोरेट घरानों ने खेतो पर कब्जा कर लिया है कोल्ड ड्रिंक के लिए......ओर गुड गाँव अब गाँव न हो कर माल्स का शहर हो गया है.....रही बुश की .....उन्हें पिज्जा बर्गर ही खाने दो.......


आपकी ये पंक्तिया गहरे तक असर छोड़ गई....

pallavi trivedi said...

bahut hi achcha...kadwa sach.