Friday, July 18, 2008

झूठी कहानी

हर रात एक नयी कहानी


हर नयी कहानी में वही पुराने राजा रानी


परियों का देश, उड़ने वाला घोडा


सुंदर राजकुमारी दुष्ट जादूगर


खूब सारी हँसी में दुःख भी थोडा


बिटिया और कुछ नही मांगती


बस रोज़ एक नयी कहानी


कैसे बताऊँ उसे............


अब ये कहानी कहने का मन नही करता है


उसकी आंखों में सपने बुनने से मन डरता है


आज राजकुमारी को कोई दुष्ट जादूगर


जन्म से पहले ही सुला देता है

और अगर नही सुलाता है


तो एक डर भरा जीवन उसे अपनी और बुलाता है

डर ..... भरे शहर अकेले आने जाने का

तेजाब की तेज़ आंच में झुलस जाने का
किसी राजकुमार का सपना आँख में बसाकर

फूलों के महल को मन में बिठाकर

दहेज़ kii बलिवेदी पर मिट जाने का

राजा रानी असहाय से निष्क्रिय होकर देखेंगे

बाकी सब केवल सुहानुभूति के फूल फेकेंगे

ऐसे में एक बेटी के बाप का मन रोता है

फिर भी बिटिया की जिद है.....

वो उसे एक अच्छे राजा रानी की कहानी सुनाकर

हर रात झूठ का घूँट भरकर सोता है


5 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत भावपूर्ण रचना-बधाई.

कुश said...

बहुत ही भावपूर्ण रचना.. एक अजीब सी कशमकश लिए हुए

डॉ .अनुराग said...

कुछ कह नही पा रहा हूँ अभिजीत बस ..मन कही अटक गया है ....किन्ही शब्दों में ...कुछ उदासी सी फ़ैल गयी है

श्रद्धा जैन said...

aapki rachna padh kar bus kahi kho hi gaye

pallavi trivedi said...

very sensitive poem...