सपनो का राग
सुनसान रात में मालकौंस के कांपते कोमल स्वर की तरह
सुना है तुम्हारे हर सपने कोहमने हमने ज़िन्दगी की तरह
पर सपने खामोशी की छाँव में पनपते हैं, खुश रहते हैं
इसीलिए हम भी मन मसोस कर बस चुप रहते हैं
मन करता है तुम्हारे हर सपने को सहेज लूं अपनी आँखों में
और फिर कुछ कहने की ज़रुरत ही न रहे
बस आँखों में खेलें अब जो हों हमारे सपने
होकर रहे जो इतने अपने
एक तान से बंधे हुए सुर की तरह
आओ गायें इन सपनो को
अपने खामोश जीवन गीत की तरह
सुनसान रात में मालकौंस के कांपते कोमल स्वर की तरह
सुना है तुम्हारे हर सपने कोहमने हमने ज़िन्दगी की तरह
पर सपने खामोशी की छाँव में पनपते हैं, खुश रहते हैं
इसीलिए हम भी मन मसोस कर बस चुप रहते हैं
मन करता है तुम्हारे हर सपने को सहेज लूं अपनी आँखों में
और फिर कुछ कहने की ज़रुरत ही न रहे
बस आँखों में खेलें अब जो हों हमारे सपने
होकर रहे जो इतने अपने
एक तान से बंधे हुए सुर की तरह
आओ गायें इन सपनो को
अपने खामोश जीवन गीत की तरह
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