Tuesday, January 22, 2008

बात अभी और होगी

इस शब के गुज़रते ही एक शब और होगी
किस्सा चलता ही रहेगा बात अभी और होगी

मोहरों सी ये दुनिया , बिछाती है बिसात
डर ये लगता है दिल को, मात अभी और होगी

आप बावफा तो नहीं यकीन मुझको पर
क़त्ल जो आप करेंगे, वो वफ़ा और होगी


दिन के जलाने वाले मगरूर उजाले से कहो
खौफ खाओ, न जलाओ रात 'अभि' और होगी

2 comments:

mehek said...

bahut khub,akhari do sher lajawab.

Anonymous said...

मोहरों सी ये दुनिया , बिछाती है बिसात
डर ये लगता है दिल को, मात अभी और होगी

हाँ, यही डर हर एक को लगता है|