टूटी सी रात की प्याली में
सुबह नें थोडा झाँका था
चाँद नें भी छुपते-छुपते
तारों के मोल को आँका था
हर करवट पर टूटे सपने
हर टूटा सपना जलता सा
कोसा सा सूरज उगता है
जलते सपनों में तपता सा
एक लम्हा था जो जुडा हुआ
दिन और रात की डोरी से
ना जाने कब वो chalaa गया
aankhon aankhon में चोरी से
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2 comments:
bahut khub
http://mehhekk.wordpress.com/
टूटी सी रात की प्याली में
सुबह नें थोडा झाँका था
चाँद नें भी छुपते-छुपते
तारों के मोल को आँका था
sundar.....ati sundar.
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