Saturday, February 2, 2008

कुछ lamhe रात के

टूटी सी रात की प्याली में
सुबह नें थोडा झाँका था
चाँद नें भी छुपते-छुपते
तारों के मोल को आँका था

हर करवट पर टूटे सपने
हर टूटा सपना जलता सा
कोसा सा सूरज उगता है
जलते सपनों में तपता सा

एक लम्हा था जो जुडा हुआ
दिन और रात की डोरी से
ना जाने कब वो chalaa गया
aankhon aankhon में चोरी से


2 comments:

Anonymous said...

bahut khub
http://mehhekk.wordpress.com/

डॉ .अनुराग said...

टूटी सी रात की प्याली में
सुबह नें थोडा झाँका था
चाँद नें भी छुपते-छुपते
तारों के मोल को आँका था

sundar.....ati sundar.