जो तुम कह देते मुझे, बात बढ़ती नही
होता कुछ भरम नया, बात बढ़ती नही
बिखरते रहना मौज की आदत लेकिन
साहिल जो संभल जाता बात बढ़ती नही
आईने को उज्र नही टूटने से
अक्स खुद पिघल जाता बात बढ़ती नही
बहार से बचकर जिंदगी निकली थी
पतझड़ भी गुज़र जाता बात बढ़ती नही
"अभि" हर शह तकाज़ा करती मुझसे
वक़्त कुछ दिलदार होता बात बढ़ती नही
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2 comments:
sahi agar waqt par sambhal jao to baat badhti nahi,sundar gazal,apki bitiya rani bahut pyari si hai,gudiya.amen.
Thanks Mehek...meri or se bhi aur Gudiya ki or se bhii. Bahut shukriya
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