आओ के इस दरिया को फिर पार किया जाए
मौजों के रहम पे खुदी को रख दिया जाये
सपनों से बाँध ले अब gharonde को apne
रेत जो behtii है तो bahne दिया जाये
ख्वाहिशें हसीन हैं पर रुख को ज़रा मोड़
हकीकतों के आँधी से अब लड़ लिया जाये
साहिलों के छूटने का शिकवा न हो कहीं
कश्तियों के दिल को सख्त कर लिया जाये
7 comments:
साहिलों के छूटने का शिकवा न हो कहीं
कश्तियों के दिल को सख्त कर लिया जाये
वाह साहब बहुत बढ़िया ,पहला शेर भी खूब है ऐसी इच्छा हुई की गर ये गजल थोडी ओर बढ़ जाती तो ....
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सपनों से बाँध ले अब gharonde को apne
रेत जो behtii है तो bahne दिया जाये
kamaal ka flow hai bhaiya.. bahut hi badhiya..
ख्वाहिशें हसीन हैं पर रुख को ज़रा मोड़
हकीकतों के आँधी से अब लड़ लिया जाये
waah...bahut achche. pasand aaye aapke khyaal.
bahut sashakt rachna hai..
All the best..
Aap sabka bahut bahut dhanyawaad
सपनों से बाँध लें अब घरौंदे को अपने
रेत जो बहती है तो बहने दिया जाए...
और
ख्वाहिशें हसीन हैं पर रुख को ज़रा मोड़
हकीकतों के आँधी से अब लड़ लिया जाये
दो अलग अलग ख्यालों को किस खूबसूरती से जोड़ा है आपने.
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